नोएडा में किचन लाइट में छिपा कोबरा: परिवार दो दिनों तक बाहर के खाने पर निर्भर, 36 घंटे बाद रेस्क्यू

नोएडा के सेक्टर 51 में एक परिवार को एक खतरनाक कोबरा की वजह से 36 घंटे तक भयभीत रहना पड़ा। यह घटना 9 सितंबर को शुरू हुई, जब डी ब्लॉक में चौधरी परिवार के घर में कोबरा फॉल्स सीलिंग के जरिए घुसा और किचन की ग्लास-पैनल वाली लाइट में छिप गया। परिवार ने तुरंत फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को सूचित किया, लेकिन स्नेक को निकालने में लगभग दो दिन लग गए। इस दौरान परिवार ऊपरी कमरों में बंद रहा और बाहर से खाना मंगवाकर गुजारा किया।

घटना की शुरुआत मंगलवार दोपहर को हुई, जब परिवार ने किचन एरिया की सीलिंग लाइट में असामान्य हलचल देखी। करीब से जांच करने पर पता चला कि एक पांच फुट लंबा कोबरा लाइट फिक्सचर के अंदर कुंडली मारकर बैठा है। यह एक अत्यधिक विषैला स्नेक है, जिसका काटना इलाज न होने पर 40 मिनट के अंदर घातक हो सकता है। मानसून के मौसम में भारी बारिश की वजह से स्नेक अपने बिलों से निकलकर आश्रय की तलाश में आवासीय इलाकों में घुस जाते हैं, जैसा कि गौतम बुद्ध नगर में हर महीने पांच से छह कोबरा के मामले रिपोर्ट होते हैं।

चौधरी परिवार, जिसमें दंपति, दो बच्चे, बुजुर्ग माता-पिता और दो घरेलू सहायक शामिल हैं, ने तुरंत किचन छोड़ दिया। वे घर के ऊपरी हिस्से में बंद हो गए और किचन में जाने से बचते रहे। बुजुर्ग माता-पिता को घर का खाना चाहिए था, लेकिन परिवार को बाहर से डिलीवरी पर निर्भर रहना पड़ा। होमओनर वर्षा चौधरी ने बताया, “हमने मंगलवार दोपहर को किचन एरिया की ग्लास-पैनल वाली सीलिंग में स्नेक को देखा और तुरंत फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को कॉल किया। आरडब्ल्यूए ने बाद में एक स्नेक चार्मर को बुलाया, लेकिन कुछ काम नहीं आया। स्नेक अपनी जगह पर ही रहा। मेरे माता-पिता बुजुर्ग हैं और उन्हें घर का खाना चाहिए, लेकिन हमें लंबे समय तक डिलीवरी पर निर्भर रहना पड़ा।”

रेस्क्यू ऑपरेशन में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम ने स्नेक कैचर के साथ कई तरीके आजमाए। उन्होंने सीलिंग शाफ्ट में रिपेलेंट पाउडर छिड़का और स्नेक के बाहर आने का इंतजार किया। बुधवार को दो फॉरेस्ट स्टाफ ने स्टिक से स्ट्रिंग लटकाकर स्नेक को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक स्नेक चार्मर ने करीब पांच घंटे किचन में बिताए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार, बुधवार शाम करीब 6:30 बजे परिवार ने हलचल देखी और टीम को अलर्ट किया। टीम ने ग्राउंड फ्लोर किचन चिमनी के पास स्नेक को पकड़ा।

फॉरेस्ट स्टाफर विद्यासागर पांडे ने कहा, “हमने परिवार से कहा था कि हलचल देखते ही हमें अलर्ट करें। जब उन्होंने कॉल किया, हम दौड़कर पहुंचे और स्नेक को ग्राउंड फ्लोर किचन चिमनी के पास पाया। इसे शाम 6:30 बजे सुरक्षित पकड़ा गया और ओखला बर्ड सैंक्चुअरी के पास यमुना नदी के किनारे रिलीज किया गया।” डीएफओ प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि मानसून में यमुना और हिंडन नदियों के आसपास के इलाकों से स्नेक फैलते हैं, क्योंकि पानी उनके बिलों को भर देता है।

स्नेक को निकालने के बाद परिवार राहत की सांस ले सका और किचन में वापस लौट पाया। घटना का एक छोटा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें स्नेक लाइट के अंदर हिलता-डुलता दिख रहा है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने इंडिया टुडे से पुष्टि की, “हमने 36 घंटे से ज्यादा काम किया, तब स्नेक बाहर आया। पकड़ने के बाद इसे सुरक्षित जगह पर रिलीज किया गया।”

यह नोएडा कोबरा घटना मानसून में स्नेक रेस्क्यू की चुनौतियों को दर्शाती है। गौतम बुद्ध नगर में ऐसी घटनाएं आम हैं, लेकिन इस बार परिवार की सतर्कता और फॉरेस्ट टीम की मेहनत से कोई हादसा टल गया।

Leave a Comment