सोशल मीडिया पर AI इमेज की बाढ़: क्या ये फोटो असली हैं या नकली? जानें पहचान के आसान तरीके

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बनी इमेज की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञ इसे ‘AI स्लॉप’ कहते हैं, जो कम गुणवत्ता वाली सामग्री का एक रूप है। यह सामग्री सोशल मीडिया को भर रही है, जैसे फेसबुक पर होलोकॉस्ट से जुड़ी गलत ऐतिहासिक इमेज या हरिकेन हेलेन के दौरान आपदा प्रभावित क्षेत्रों की नकली तस्वीरें। 2025 में, चारी कर्क की हत्या के बाद AI-जनरेटेड इमेज और वीडियो की लहर सोशल मीडिया पर छा गई। ऐसे उदाहरणों से मिसइनफॉर्मेशन फैलने का खतरा बढ़ गया है, जो आपदा प्रतिक्रिया को प्रभावित करता है और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ सकता है।

यह बाढ़ इंटरनेट की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है, जहां AI सामग्री ध्यान आकर्षित करने के लिए बनाई जाती है। क्विनिपियाक यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ एडम नेमरॉफ के अनुसार, यह एल्गोरिदम पर ‘ब्रूट फोर्स अटैक’ की तरह काम करता है, जो वास्तविक सामग्री को दबा देता है। टेक्सास बाढ़ के दौरान AI वीडियो को असली फुटेज के रूप में शेयर किया गया। इसी तरह, 2025 में स्टॉर्म डैमेज की AI फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। ये उदाहरण दिखाते हैं कि AI generated images सोशल मीडिया मिसइनफॉर्मेशन का बड़ा स्रोत बन चुकी हैं।

तो, detect AI images कैसे करें? विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ सरल तरीके अपनाकर इनकी पहचान संभव है। सबसे पहले, डिटेल्स पर फोकस करें। AI इमेज में उंगलियां विकृत हो सकती हैं या टेक्स्ट गिबरिश दिख सकता है, जैसे रेयान रेनॉल्ड्स की AI फोटो में F1 जैकेट पर गलत लिखावट। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अध्ययन में पांच संकेत बताए गए हैं: एनाटॉमिकल गलतियां जैसे अतिरिक्त उंगलियां या असामान्य गर्दन; स्टाइलिस्टिक आर्टिफैक्ट्स जैसे चमकदार त्वचा या ओवरसैचुरेटेड रंग; फंक्शनल गलतियां जैसे बैग स्ट्रैप का कपड़े में घुलना; फिजिक्स उल्लंघन जैसे गलत छायाएं; और सोशियोकल्चरल अनुपयुक्तताएं जैसे ऐतिहासिक व्यक्तियों के हाथ में आधुनिक वस्तुएं।

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दूसरा, परफेक्शन से सावधान रहें। AI इमेज अक्सर बहुत स्मूथ दिखती हैं, जिसमें त्वचा या कपड़े की बनावट गायब होती है। एरियाना ग्रांडे की AI फोटो में चेहरे की बनावट की कमी स्पष्ट है। एनपीआर के अनुसार, हाथों या दांतों में अनियमितताएं देखें, हालांकि नई AI टूल्स इन्हें सुधार रही हैं। जूम इन करके आर्टिफैक्ट्स ढूंढें, जैसे पिघलते हुए डिटेल्स।

तीसरा, रिवर्स इमेज सर्च का इस्तेमाल करें। गूगल पर अपलोड करके देखें कि इमेज कहां से आई। AI डिटेक्शन टूल्स जैसे साइटइंजन या वासिताई वेबसाइट्स पर अपलोड करें। गूगल का सिंथआईडी डिटेक्टर वॉटरमार्क्स स्कैन करता है। एसआईएफटी मेथड अपनाएं: रुकें, सोर्स जांचें, बेहतर कवरेज ढूंढें, और मूल संदर्भ ट्रेस करें। वॉटरमार्क्स या मिसप्लेस्ड कंटेंट भी चेक करें।

ये तरीके अपनाकर उपयोगकर्ता सोशल मीडिया पर AI detection tools का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, जैसे-जैसे AI सुधर रही है, वैसे-वैसे सतर्कता जरूरी है। स्रोतों की जांच से मिसइनफॉर्मेशन को रोका जा सकता है।

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