चुनाव से पहले मोदी का बिहार के युवाओं को तोहफा: मासिक 1000 रुपये भत्ता और छात्रवृत्ति दोगुनी

बिहार विधानसभा चुनावों की आहट के ठीक पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन (Vigyan Bhawan) में आयोजित कौशल दीक्षांत समारोह में राज्य के युवाओं के लिए एक अहम पैकेज का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि इस पैकेज की कुल बजट राशि 62,000 करोड़ रुपये से अधिक होगी, और इसके तहत बिहार के लगभग 5 लाख स्नातकों को अगले दो वर्ष तक प्रतिमाह 1,000 रुपये का स्वयं सहायता भत्ता प्रदान किया जाएगा। साथ ही, छात्रवृत्ति राशि को 1,800 रुपये से बढ़ाकर 3,600 रुपये प्रति माह कर दिया गया।

इन घोषणाओं के साथ ही, पीएम ने उच्च शिक्षा ऋण व्यवस्था (Student Credit Card), कौशल विश्वविद्यालयों के विस्तार और बिहार-केन्द्रित अन्य सुधार योजनाएँ भी शुरू कीं। इस महत्वाकांक्षी कदम को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है क्योंकि यह घोषणा सीधे युवा मतदाताओं को लक्षित करती है।

प्रमुख घोषणाएँ और उनकी रूपरेखा

1. स्वयं सहायता भत्ता योजना (मासिक 1,000 रुपये)

मोदी ने कहा कि बिहार की “मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना” को पुनर्संरचित किया जाएगा। इस योजना के अनुसार हर साल लगभग पांच लाख स्नातक जिन्हें रोजगार नहीं मिला है, उन्हें दो वर्ष तक मासिक 1,000 रुपये दिए जाएंगे। साथ ही, इस सहायता के साथ मुफ्त कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि ये युवा बेरोजगारी की समस्याओं से बेहतर ढंग से निपट सकें।

2. छात्रवृत्ति राशि में वृद्धि

मोदी ने घोषणा की कि बिहार सरकार की छात्रवृत्ति योजना को विस्तार देते हुए राशि 1,800 रुपये से बढ़ाकर 3,600 रुपये प्रति माह कर दी गई है। यह बढ़ोतरी विशेष रूप से उन छात्रों के लिए बड़ी राहत है जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि कक्षा 9 व 10 के लगभग 25 लाख छात्रों को 450 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से दी जाएगी।

3. शिक्षा ऋण (Student Credit Card) सुधार

प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को पुनर्जीवित किया गया है। इस योजना के अंतर्गत छात्र 4 लाख रुपये तक का ब्याज-मुक्त शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान में इस योजना के तहत 3.92 लाख छात्रों ने 7,880 करोड़ रुपये से अधिक ऋण प्राप्त किया है।

4. शिक्षा और कौशल बुनियादी ढाँचा

– पीएम ने जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य राज्य में उद्योग-उन्मुख व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन देना है।
– उन्होंने पटना विश्वविद्यालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा), जयप्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा) और नालंदा ओपन विश्वविद्यालय में नए शैक्षणिक और अनुसंधान सुविधाओं की आधारशिला रखी।
– NIT पटना के बिहटा परिसर को समर्पित किया गया, जिसमें 5G लैब, नवाचार केंद्र और उच्चस्तरीय प्रयोगशालाएँ शामिल होंगी।
– एक नई केंद्रीय योजना PM-SETU (Pradhan Mantri Skilling and Employability Transformation through Upgraded ITIs) शुरू की गई, जिसमें लगभग 1,000 सरकारी ITI को आधुनिककरण का लक्ष्य है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और टिप्पणी

यह स्पष्ट है कि यह घोषणाएँ न सिर्फ विकास-उन्मुख कदम हैं, बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में युवा मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति भी हो सकती हैं। विपक्ष ने इसे चुनावी हथकण्डा (“vote revdi”) करार दिया है। कांग्रेस ने तर्क दिया है कि इस तरह की घोषणाएँ चुनाव बाद भूल जाई जाती हैं।

विश्लेषक यह कहते पाए जाते हैं कि यह भत्ता उन युवाओं को अस्थायी राहत देगा, लेकिन दीर्घकालीन रोजगार निर्माण और स्किल्ड एस्पेक्ट पर काम करना ज़रूरी है। यदि योजना लागू करने में ले-दे में देरी, लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया या वितरण तंत्र में खामियाँ हों, तो इसका असली असर कम हो सकता है।

मोदी ने अपने भाषण में विपक्ष पर कटाक्ष किया और उल्लेख किया कि कुछ लोग “जननायक” पद को भी नामों की बदली में उपयोग करते हैं।

संभावित प्रभाव एवं चुनौतियाँ

  • यदि भत्ता सही समय पर और पारदर्शी तरीके से लाभार्थियों को मिले, तो यह उन युवाओं को आर्थिक सहारा देगा, जिससे वे शिक्षा जारी रख सकेंगे या स्वरोजगार की कोशिश कर सकेंगे।
  • कौशल विश्वविद्यालय और ITI बेहतर संयोजन बनाए तो स्थानीय उद्योगों से तालमेल बढ़ेगा और पलायन की प्रवृत्ति कम हो सकती है।
  • लेकिन यदि योजना को मात्र घोषणाओं तक सीमित रखा जाए और ज़मीनी क्रियान्वयन कमजोर हो, तो युवा अपेक्षाएँ अधूरी रह सकती हैं।
  • चयन मानदंड, आवेदन प्रक्रिया, भत्ता वितरण समय से न होना—ये सामान्य चुनौतियाँ हैं जिन्हें समय रहते दूर करना होगा।

निष्कर्ष

चुनाव के पूर्व यह पैकेज निश्चय ही बड़ा राजनीतिक संदेश है। 1,000 रुपये मासिक सहायता, छात्रवृत्ति वृद्धि, शिक्षा ऋण में सुधार और कौशल बुनियादी ढाँचा — ये सभी घोषणाएँ बिहार के युवाओं में उम्मीद जगा सकती हैं।

फिर भी, इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि नीति कितनी कुशलता, समयबद्धता और निष्पक्षता से लागू की जाए। यदि केंद्रीय व राज्य सरकारें वितरण तंत्र, निगरानी और पारदर्शिता को सुनिश्चित करें, तो यह बिहार के युवा भविष्य को वास्तविक दिशा दे सकती है।

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