अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में अमित शाह का बड़ा बयान: हिन्दी व अन्य भाषाओं में कोई टकराव नहीं

गांधीनगर में आयोजित पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के अवसर पर महत्वपूर्ण संबोधन दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी अन्य भारतीय भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि उनकी साथी है। अमित शाह ने कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई टकराव नहीं है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में भाषाई विविधता और राजभाषा की भूमिका पर चर्चा तेज है। सम्मेलन का आयोजन दिल्ली से बाहर विभिन्न राज्यों में पिछले पांच वर्षों से हो रहा है, जो भाषाई एकता को बढ़ावा देने का प्रयास दर्शाता है।

अमित शाह ने अपने संबोधन में जोर दिया कि हिंदी को केवल बोलचाल या प्रशासन की भाषा तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा बनाना आवश्यक है। जब ये कार्य भारतीय भाषाओं में होंगे, तो जनता से सीधा जुड़ाव स्वतः स्थापित हो जाएगा। उन्होंने हिंदी को भारतीय भाषाओं की सखी बताते हुए कहा कि सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करना जरूरी है। यह सम्मेलन हिंदी दिवस पर आयोजित किया गया, जो 14 सितंबर को मनाया जाता है, और इसका उद्देश्य राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार को मजबूत करना है।

सम्मेलन में अमित शाह ने यह भी उल्लेख किया कि मोदी सरकार के नेतृत्व में राजभाषा नीति को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी का विकास अन्य भारतीय भाषाओं के विकास से जुड़ा है, और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इस संदर्भ में, उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने की बात की, जैसे कि वैज्ञानिक अनुसंधान और कानूनी प्रक्रियाओं में। अमित शाह ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि हिंदी का प्रसार अन्य भाषाओं पर थोपना नहीं है, बल्कि यह भाषाई सद्भाव का माध्यम है। सम्मेलन में उपस्थित अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने इस बयान का स्वागत किया, जो देश की भाषाई एकता को मजबूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

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यह बयान विभिन्न समाचार माध्यमों में सुर्खियां बना रहा। उदाहरण के लिए, एनडीटीवी की रिपोर्ट में अमित शाह के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा गया कि हिंदी भारतीय भाषाओं की दोस्त है और कोई संघर्ष नहीं है। इसी तरह, इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि अमित शाह ने हिंदी को विज्ञान, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा बनाने पर जोर दिया। प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की आधिकारिक रिलीज में भी सम्मेलन के विवरण दिए गए हैं, जहां पिछले पांच वर्षों से दिल्ली के बाहर आयोजन का जिक्र है। यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया ने भी अमित शाह के बयान को कवर किया, जिसमें हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच कोई टकराव न होने की बात पर फोकस है।

कुल मिलाकर, अमित शाह का यह बयान हिंदी दिवस पर भाषाई सद्भाव को मजबूत करने का संदेश देता है। सम्मेलन का आयोजन गुजरात में होना भी क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को रेखांकित करता है। सरकार की राजभाषा नीति आगे भी भारतीय भाषाओं के विकास पर केंद्रित रहेगी।

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