H1B वीजा क्यों बना और क्यों है विवादों में? प्यू रिसर्च के आंकड़े देते हैं जवाब

अमेरिका की अर्थव्यवस्था में उच्च कुशल विदेशी कामगारों की भूमिका को मजबूत करने के लिए शुरू हुआ H1B वीजा प्रोग्राम आज भी बहस का केंद्र बना हुआ है। प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि यह प्रोग्राम न केवल नवाचार को बढ़ावा देता है, बल्कि अमेरिकी नौकरियों पर भी सवाल उठाता है। 1990 में जन्मा यह वीजा, आज 2025 में भी लॉटरी सिस्टम और वेतन विवादों से घिरा है। आइए, वेरिफाइड डेटा के आधार पर समझते हैं कि H1B वीजा कब और क्यों शुरू हुआ, और क्यों इसके आसपास विवाद का तूफान बना रहता है।

H1B वीजा की शुरुआत: 1990 का कानूनी कदम

H1B वीजा प्रोग्राम की शुरुआत 1990 में इमिग्रेशन एक्ट के तहत हुई, जब राष्ट्रपति जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश ने इसे कानून बनाया। इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को विशेषज्ञता वाली नौकरियों में विदेशी कामगारों को अस्थायी रूप से हायर करने की सुविधा देना था। प्यू रिसर्च सेंटर की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रोग्राम उन क्षेत्रों में श्रम की कमी को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया, जहां बैचलर डिग्री या उसके बराबर योग्यता जरूरी हो, जैसे इंजीनियरिंग, आईटी, मेडिकल साइंस और रिसर्च। शुरू में, सालाना 65,000 वीजा की सीमा तय की गई, जो कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और इंजीनियरिंग जैसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में अमेरिकी फर्मों को मदद पहुंचाने का लक्ष्य रखती थी।

2000 के अमेरिकन कॉम्पिटिटिवनेस इन द 21st सेंचुरी एक्ट ने इसमें बदलाव लाए। प्यू रिसर्च के विश्लेषण से पता चलता है कि 2001-2003 के लिए कोटा 195,000 तक बढ़ाया गया, ताकि डॉट-कॉम बूम के दौरान टैलेंट गैप भरा जा सके। इसके अलावा, अमेरिकी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स या पीएचडी करने वालों के लिए 20,000 अतिरिक्त वीजा आरक्षित किए गए। नॉन-प्रॉफिट रिसर्च संस्थानों को कोटा से छूट दी गई। प्यू की 2025 की रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2001 से 2015 तक लगभग 1.8 मिलियन H1B वीजा जारी हुए, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाने में सहायक साबित हुए।

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विवाद के केंद्र में H1B: नौकरियां बनाम सस्ता श्रम

H1B वीजा पर विवाद की जड़ें गहरी हैं। प्यू रिसर्च की 2024 सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 40% अमेरिकी वयस्क उच्च कुशल इमिग्रेंट्स को लीगल इमिग्रेशन में प्राथमिकता देने के पक्ष में हैं, जबकि 60% मानते हैं कि लीगल इमिग्रेंट्स वे नौकरियां भरते हैं जो अमेरिकी नागरिक नहीं चाहते। लेकिन आलोचक इसे सस्ते श्रम का साधन बताते हैं। विकिपीडिया और अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल के डेटा से स्पष्ट है कि कंपनियां H1B वर्कर्स को कम वेतन पर हायर करती हैं, जिससे अमेरिकी कामगारों की नौकरियां प्रभावित होती हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च से पता चला कि आईटी सेक्टर में वेतन स्थिर रहने से STEM क्षेत्र में कोई कमी नहीं है, फिर भी H1B का इस्तेमाल बढ़ रहा है।

ट्रंप प्रशासन ने 2017-2020 में सख्त नियम लागू किए, जैसे स्पेशल्टी ऑक्यूपेशंस की परिभाषा कड़ी करना और थर्ड-पार्टी प्लेसमेंट सीमित करना। प्यू की रिपोर्ट के अनुसार, इनसे डिनायल रेट 24% तक पहुंच गया, लेकिन बाइडेन काल में कोर्ट फैसलों से यह 3% पर लौट आया। 2024 में लगभग 4 लाख एप्लीकेशंस अप्रूव हुईं, ज्यादातर रिन्यूअल के लिए। हालिया बहस में एलन मस्क जैसे टेक लीडर्स H1B को इनोवेशन का इंजन बताते हैं, जबकि MAGA समर्थक इसे अमेरिकी कल्चर पर हमला मानते हैं। प्यू की 2023 रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी आबादी में इमिग्रेंट्स 14% हैं, जो 1910 के बाद सबसे ज्यादा, जिससे इमिग्रेशन डिबेट और तेज हो गया।

प्यू रिसर्च का नजरिया: बैलेंस्ड ग्रोथ की जरूरत

प्यू रिसर्च सेंटर के डेटा से साफ है कि H1B ने अमेरिकी मेट्रो एरियाज, खासकर ईस्ट कोस्ट और टेक्सास में हाई-स्किल्ड वर्कफोर्स को मजबूत किया। 2010-2016 के बीच ईस्ट कोस्ट मेट्रो में सबसे ज्यादा अप्रूवल्स हुए। लेकिन विवाद कम करने के लिए रिफॉर्म्स जरूरी हैं, जैसे लॉटरी सिस्टम सुधारना और वेतन प्रोटेक्शन मजबूत करना। अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल का कहना है कि H1B वर्कर्स अमेरिकी कामगारों के पूरक हैं, न कि प्रतिस्पर्धी। फिर भी, वेज थेफ्ट के केस, जैसे HCLTech का 95 मिलियन डॉलर का मामला, विश्वास को कमजोर करते हैं।

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H1B वीजा प्रोग्राम अमेरिकी इनोवेशन का स्तंभ है, लेकिन इसके विवादों से साबित होता है कि बैलेंस बनाना चुनौतीपूर्ण है। प्यू रिसर्च की रिपोर्ट्स बताती हैं कि सही रिफॉर्म्स से यह दोनों पक्षों के हित में हो सकता है।

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